Sunday, January 12, 2014




आज 'जां' नहीं लिख सकूँगी.. यूँ हर पल तुम्हें ही चाहा है..चाहूँगी भी..पर आज नहीं लिख सकूँगी..!! दिल की छोटी-छोटी तरंगें जैसे बेचैन हैं..तूफां से लिपट भी मैं टूटी नहीं, जाने क्या कशिश थी मैं बिखरी नहीं..

तुमने क्यूँ थाम रखा है..अब जाने दो..मेरे खुरदुरे हाथ तुम्हारे मुलायम हाथों से.. फिसलने दो मेरा मन अपने मन के दर्पण से..!!